टू फिंगर टेस्ट क्या है।
टू फिंगर टेस्ट जिसे मेडिकल की भाषा में वैगीनल एग्जामिनेशन कहां जाता है इस टेस्ट के जरिए कौमार्य परीक्षण की जाता है। होता यह है कि महिलाओं की योनि में एक झिल्ली होती है जिसे हाइमन या योनिच्छद कहते है, संभोग के दौरान यह झील टूट या फट जाती है जिसकी जांच टू फिंगर टेस्ट के द्वारा किया जाता है जो यह बताता है कि महिला के साथ संभोग हुआ है या नहीं
आसान भाषा में कहें तो टू फिंगर टेस्ट एक मेडिकल टेस्ट होता है। यह टेस्ट बलात्कार पीड़िता पर किया जाता है होता यह है कि जब किसी लड़की का बलात्कार होता है तू सुबूत के लिए या कानूनी कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए पीड़िता का जो मेडिकल टेस्ट कराया जाता है उसे ही टू फिंगर टेस्ट कहते हैं। यह टेस्ट बिल्कुल भी मानवीय नहीं है तथा कोट ने इसे 2013 में बैंन कर दिया इसके बावजूद भी आज भी कई जगहों पर बलात्कार पीड़िता जांच टू फिंगर से ही किया जाता है। इस देश की सबसे बेकार बात यह है कि जांच कर रहा डॉक्टर अपने उगलियों को पीड़िता के योनि में डालकर यह बताता है कि उसके साथ संभोग हुआ है या नहीं जो इसक सबसे वाहियात बात है।
टू फिंगर टेस्ट की शुरुआत कब और कहां से हुई।
सर्वप्रथम टू फिंगर टेस्ट 1898 में किया गया था। सबसे पहले इस टेस्ट को करने वाले वैज्ञानिक एल थोइनौट ने परीक्षण के बाद यह बताया कि सहमति के साथ बनाए गए संभोग संबंध में झिल्ली यानी हाइमन टूटता या फटता नहीं है। हालांकि कई बड़े विद्वानों ने इस बात का खंडन करते हुए यह कहा है की हाइमन या झिल्ली अन्य कई कारणों से भी टूट या फट सकता है बिना उस महिला के साथ संभोग हुए।
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टू फिंगर टेस्ट पर अलग-अलग देशों की मान्यताएं
बड़े ही दुख के साथ यह कहना पढ़ रहा है कि आज के इस आधुनिक युग में कई सारे देशों में टू फिंगर टेस्ट का प्रयोग महिलाओं की वर्जिनिटी जांच करने के लिए की जाती है। अफ्रीका के कई देशों में वर्जिनिटी टेस्ट करने के लिए टू फिंगर टेस्ट का प्रयोग किया जाता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि वहां की महिलाओं में यह बात आम है। इंडोनेशिया जैसे विकासशील देश में महिलाओं को
लेकिन पीछे कुछ सालों में लोगों की मानसिकता बदली है और धीरे-धीरे इस टेस्ट का लोग विरोध कर रहे हैं और कई देशों में यह टेस्ट गैरकानूनी भी कर दिया गया है। और कुछ देशों में इस देश को कराने पर जेल भी हो सकती है।
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2018 में national crime reports bureau (NCRB) ने एक रिपोर्ट जारी किया था जिसमें यह बताया गया था कि भारत में हर रोज करीब एक कान पर लड़कियों के साथ बलात्कार होता है। और इनमें से मत 30% लड़कियां ही पुलिस केस कर पाती हैं और विचारणीय बात यह है कि इसमें से बहुत ही कम प्रतिशत लोगों को न्याय मिल पाता है। भारत में सबसे अधिक मध्यप्रदेश में बलात्कार के केस दर्ज कराई जाती हैं।
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1 thought on “क्या आप जानते हैं की रेप पीड़िता की जांच कैसे होती है।”