भूस्खलन के प्रमुख कारकों को वर्गीकृत कीजिये एंव भूस्खलन प्रवृत क्षेत्रों में इसके प्रबंधन पर प्रकाश डालिए।
Ans – मिट्टी तथा चट्टानों का दलान पर ऊपर से नीचे की ओर खिसकने लुढ़कने तथा गिरने की प्रक्रिया को भूस्खलन कहते हैं।
भूस्खलन के कितने के होते हैं।
Ans- भूस्खलन के दो प्रमुख कारक हैं।
1. प्राकृतिक
2.मानवीय
प्राकृतिक कारक क्या क्या हो सकते है
→ भूमि का दाल अधिक होना
→ वर्षा की मात्रा
→ पर्वतीय क्षेत्र → दीली भूमि
→ चट्टानों में वलन व भ्रंशन
→ नवीन मोड़दार पर्वत मानवीय कारक
→ कागज उद्योग व लकड़ी के लिए पेड़ों का कारना
→खनन यातायात का निर्माण (भूस्खलनीय क्षेत्रों में )
भूस्खलन प्रवृत क्षेत्र व प्रबंधन
भारत में भूस्खलन सबसे ज्यादा हिमालयी क्षेत्रों एंव उसके बाद पश्चिमी घाट क्षेत्र में होता है।
भूस्खलन क्षेत्र का प्रबंधन दो स्तरों पर किया जा सकता हैं।
सरकारी स्तर व व्यक्तिगत स्तर
सरकारी स्तर पर भूस्खलन का प्रबंधन
→ भूस्खलन क्षेत्रों में बने मार्गों के दोनों ओर वर्षा जल के निकास की समुचित व्यवस्था रोनी चाहिए
→ मार्गों के निर्माण के दौरान मार्गो के दोनों और 45° के मलवे का हटा देना चाहिए था कम कर देना चाहिए।
→ भूस्खलन क्षेत्र में चेतावनी संकेत लगाये जाये
→ यथासंभव चट्टानों को सहारा देने के लिए मजबूत दीवार बना दी जाये
व्यक्तिगत स्तर पर भूस्खलन का प्रबंधन
→ भूस्खलन क्षेत्रों में वर्षा के समय बाहर ना जाये
→पर्वतीय क्षेत्रों में भवन निर्माण मजबूत धरातल पर ही बनाए
→ पर्वतीय क्षेत्रों में नदी तटों पर मकान न बनायें
→ भूस्खलन में फंसे लोगों की हरसंभव मदद की जाये
→मार्गों पर भूस्खलन हुआ है तो नागरिक इसकी जानकारी संबंधित विभाग को दें
अतः भूस्खलन होते ही इसके प्रबंधन के लिए सरकारी व व्यक्तिगत स्तर पर + दोनों स्तरों पर काम करना चाहिए। सबसे पहले भूस्खलन से अवरुद्ध मार्गो को खोलना चाहिए