यूरोप में आया 100 सालों का सबसे बड़ा बाढ़” गई सैकड़ों की जान”
यूरोप के जर्मनी देश में अब तक का सबसे बड़ा बाढ़ आया है। ऐसा बाढ़ पिछले 100 सालों में कभी नहीं आया था। इसमें करीब 180 लोगों की जान गई है। जिस जगह पर यह घटना हुई है वह नॉर्थ सी से सटा हुआ भाग हैं, इसे लो लैंड कंट्री के नाम से भी जाना जाता है। इन जगहों पर बाहर निचले हिस्से होने के कारण अक्सर आते रहते हैं पर ऐसा बाढ़ पिछले कई सदियों से यूरोप में नहीं आया था।
यूरोप में आई बाढ़ से कितना नुकसान हुआ है।
यूरोप में आए बाढ़ से कितना नुकसान हुआ है इसका अंदाजा हम इसी से लगा सकते हैं जैसे कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक करीब 180 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोगों के घायल होने की सूचना सामने आई है। साथ ही साथ बहुत बड़ी संख्या में जान-माल की क्षति भी हुई है एक जारी आंकड़े के अनुसार करीब 3000 करोड़ की संपत्ति इस बाढ़ में क्षतिग्रस्त हुई हैं।
जर्मनी में इतनी भीषण बाढ़ आई, “कैसे”
जर्मनी में इतनी बड़ी बाढ़ कैसे आई यह जानने से पहले यह जान लेते हैं की क्या आज जर्मनी में बाढ़ आना एक सामान्य घटना है। यहां इसक पीछे कोई और वजह जिम्मेदार है। और विश्व में किस बारे में किस प्रकार से चिन्हित हो रहा है इन सभी कारणो को समझने का प्रयास किया जाएगा तू हमें यह जानकर हैरानी होगी कि ऐसा बाढ़ यूरोप में पिछले 100 सालों में कभी नहीं आया है अलग-अलग मीडिया खबरों की माने तो हर मीडिया चैनल के द्वारा अलग-अलग मौत की संख्या बताई जा रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक 180 लोगों की मौत हुई है। हम मैप में यूरोप को देखकर यह समझते हैं कि बाढ़ कैसे आया तो यह पता चलेगा कि जर्मनी की ज्योग्राफिकल स्थिति ऐसी है कि वह निचले क्षेत्र में स्थित है तथा नॉर्थ सी से जुड़े हुए होने के कारण अक्सर यहां बाढ़ का खतरा बना रहता है। इस तरह का भयावह दृश्य आज तक जर्मनी ने नहीं देखा है।
North sea से सटे हुए देशों पर इस बाढ़ का क्या प्रभाव पड़ेगा।
North sea से से सटे हुए देश बेल्जियम जर्मनी तथा नीदरलैंड है और इन सभी देशों पर बाढ़ का असर देखा गया है लेकिन सबसे अधिक इससे जर्मनी प्रभावित हुआ है।
यूरोप में आई बाढ़ के लिए कौन सी नदी जिम्मेवार है। राइन नदी कहां से निकलती है।
यूरोप की जर्मनी में आए बाढ़ से सबसे ज्यादा जर्मनी तथा उसके सटे बेल्जियम प्रभावित है।
राइन नदी यूरोप में आई बाढ़ के लिए जिम्मेवार है। राइन नदी स्विट्जरलैंड के आलियास पर्वत से निकलकर नार्थ सी तक जाती है।
इस पूरे घटना के पीछे वैज्ञानिकों का मत यह है कि जर्मनी के उस क्षेत्र विशेष में ब्रइंट जैसी स्थिति उत्पन्न हुई, जर्मन भाषा में इसका का मतलब भालू होता है जिसका रूप भयावहता हो भारत में इस स्थिति को बादल फटना भी कहते हैं। जर्मनी में जो बाढ़ आया है उसे सदियों से कभी नहीं देखा गया है। मीडिया रिपोर्ट के द्वारा जारी की गई फोटोस और वीडियो को देखने से यह पता चलता है कि वहां की स्थिति कितनी दुर्गम है कभी पानी का नामोनिशान नहीं हुआ करता था वहां समुंदर जैसी स्थिति बनी हुई है। कई घर कई दर्जनों गाड़ियां इस बाढ़ में बह गई। जर्मनी में पर्वतों को काटकर कई डैम बनाए गए थे यह सारे के सारे डैम या तो पानी से भरे हुए हैं या फिर टूट गए। राइन नदी के रास्ते में आने वाले लगभग सारे के सारे शहर जलमग्न हैं। का पानी इतना ज्यादा प्रभावित किया है कि शहर के कई पुल के ऊपर से पानी बहता हुआ नजर आ रहा है। और इस पानी में आपको कई घर तैरते हुए नजर आएंगे।
यूरोप में आए बाढ़ पर वैज्ञानिकों की मत
वैज्ञानिकों का मानना है कि जर्मनी में जो हालात पैदा हुए हैं वह मौसम परिवर्तन का नतीजा है वैज्ञानिकों का मानना है कि बेशक जर्मनी के जिस भाग पर अभी बाढ़ आई है वहां सैकड़ों साल पहले बाढ आती थी, लेकिन इस से हालात तब भी पैदा नहीं हुए होंगे। वैज्ञानिकों ने कहा है कि मौसम परिवर्तन के कारण यूरोप में निम्न दाब का क्षेत्र बना और यह क्षेत्र यूरोपियन कंट्री नेम से अपनी दिशा बदल दी जिसके कारण बारिश का क्षेत्र तथा बारिश के जैसे हालात पैदा हुए और वहां पर सैकड़ों सेंटीमीटर वर्षा हुई।
यूरोप में आई बाढ़ पर WHO ने क्या कहा
यूरोप की स्थिति पर WHO का कहना है कि इस घटना के पीछे क्लाइमेट चेंज का बहुत बड़ा हाथ है आज के समय में जलवायु परिवर्तन वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ा प्रश्न है। समय के साथ-साथ अगर इस स्थिति को काबू में ना किया जाए तो आने वाले समय में स्थितियां और भी भयावह होती जाएगी। समुंद्र में उड़ती हुई लहरें हर तरफ से तूफान या चक्रवात आने का इशारा करते रहती हैं। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे ज्यादा खतरा बर्फ के पिघलने से है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
इन दिनों हमने नोटिस किया होगा कि भारत में आया हुआ tawute तूफान ने आकर भारत में सैकड़ों करोड़ की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। आने वाले समय में भारत को और भी कई खराब परिस्थितियों से गुजर ना हो सकता है आए दिनों आने वाली खतरनाक वर्षा के कारण हर साल भारत के अधिकांश राज्य डूबे रहते हैं।
आपको बता दें कि अभी हाल ही के दिनों में कनाडा में जलवायु परिवर्तन का सबसे भयावह दृश्य देखने को मिला है, कनाडा एक ऐसा देश है जहां का सामान्य तापक्रम 19 डिग्री से लेकर के 20 डिग्री तक ही होता है लेकिन वर्तमान में वहां का तापमान 45 डिग्री से लेकर के 50 डिग्री तक पहुंच चुका है।