Apara Ekadashi 2023: बहुत समय पहले की बात है। महीध्वज नामक एक राजा था। वह बहुत ही धर्मात्मा था। राजा की छोटे भाई का नाम ब्रज ध्वज था | वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था।
उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। तथा उसे जंगल में एक पीपल पेड़ के नीचे गाड़ दिया। राजा की अकाल मृत्यु हुई थी इसलिए वह प्रेत बन कर उस पीपल के वृक्ष पर रहने लगा।
उस रास्ते से जो कि व्यक्ति गुजरता था| उसे राजा की आत्मा काफी परेशान करती थी। एक दिन अचानक धौम्य नामक ॠषि उधर से गुजरे। उन्होंने उस प्रेत को तपोबल से देखा और उसके प्रेत बनने का कारण जान लिया।
ऋषि ने पीपल के पेड़ से राजा की प्रेत आत्मा को नीचे उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया। जिसके बाद राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई।
ऋषि ने राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं अपरा (अचला) एकादशी का व्रत रखा और द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर उस व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया। एकादशी व्रत का पुन प्राप्त करके राजा महीध्वज प्रेत योनि से मुक्त होकर स्वर्ग चले गए।
अपरा एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता हैं?
भगवान श्री कृष्ण युधिष्ठिर जी को उपदेश देते हुए कहा कि यह एकादशी ‘अचला’ तथा’ अपरा दो नामों से जानी जाती है। पुराण के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी है
यह एकादशी रखने वाले मनुष्य को अपार धन की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य इस व्रत को करता है उसे प्रसिद्धि की प्राप्ति भी होती है। यह व्रत पापरूपी मनुष्य जीवन के पास रूपी वृक्ष को काटने वाली कुल्हाड़ी का काम करती है।जो मनुष्य अपने पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उन्हें इस व्रत को अवश्य ही करना चाहिए | कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से मुनष्य के जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है |
अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त
अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त 15 मई 2023, सोमवार कि सुबह 2:46 से शुरू होगी। तथा इसकी समाप्ति 16 मई 2023 की रात 1:03 पर होगी। अपरा एकादशी के पारण का समय 16 मई 2030 को सुबह 6:41 से सुबह 8:13 तक रहेगा |