Kargil Vijay Diwas 2022: कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के बलिदान के किस्से जो आप नहीं जानते, कारगिल युद्ध क्यों हुआ

Kargil Vijay Diwas 2022: आज हमारे देश में ही नहीं विश्व के हर देश में जहां भारतीय रहते हैं उसके लिए गर्व का दिन आज का दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह कारगिल विजय दिवस क्यों मनाया जाता है?

इसकी जानकारी सबको है क्योंकि आज ही के दिन 1999 में कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई हुई थी। इस क्रम में भारतीय सैनिक ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था। किंतु हमारे कुछ अजय जवानों का बलिदान हो गया। इसी बलिदान की सम्मान में आज का दिन यानी 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों और बहुत सारे आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा(LOC) को पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस गए थे। इस घुसपैठ को रोकने में भारतीय सेना कुछ सफलता मिला। आज से ठीक 23 साल पहले जम्मू कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी सेना के हजारों जवानों तथा जिहादियों ने भारतीय क्षेत्र में कब्जे की कोशिश की थी।

हम क्यों मनाते हैं कारगिल विजय दिवस

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आज से ठीक 23 साल पहले पाकिस्तानी सेना ने भारत के जम्मू कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ की थी। उनकी योजना कश्मीर को हथियाने की थी। पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ चलाए गए सैन्य अभियान। की योजना कोई और नहीं बल्कि उस समय के तत्कालीन जनरल प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने बनाया था|
जनरल प्रमुख परवेज मुशर्रफ के अलावा तीन अन्य जनरल जावेद हसन,मोहम्मद अहमद और मोहम्मद अजीज भी इस योजना में शामिल थे। कारगिल का युद्ध पूरे 85 दिनों तक लड़ा गया| इस क्रम में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने रही।

हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध 60 दिनों तक ही चला था। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध को भारतीय सेना ने ”ऑपरेशन विजय” का नाम दिया था। कारगिल युद्ध में भारतीय सेनाओं के बलिदान के सम्मान में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है|

कारगिल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद सैनिकों को दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल दिवस के अवसर पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि कारगिल विजय दिवस मां भारती की आन-बान और शान का प्रतीक है। इस अवसर पर मातृभूमि की रक्षा में पराक्रम की पराकाष्ठा करने वाले देश के सभी साहसी सपूतों को मेरा शत-शत नमन। जय हिंद!

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कारगिल दिवस पर श्रद्धांजलि दी।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कारगिल दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिए! शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट में लिखा कि कारगिल विजय दिवस हमारे सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता, पराक्रम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वीर सैनिकों को मैं नमन करती हूं। सभी देशवासी, उनके और उनके परिवारजनों के प्रति सदैव ऋणी रहेंगे। जय हिन्द!

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तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई का बड़ा योगदान

कारगिल युद्ध की शुरुआत 3 मई को ही हो गई थी|  इस क्रम में भारतीय सीमा के अंदर पाकिस्तानी सैनिक तथा। आतंकवादियों ने घुसपैठ कर दिया था। यह युद्ध 85 दिनों तक चला और युद्ध के समापन के बाद। 26 जुलाई को हर साल विजय दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई थे। और यह कहा जा सकता है, कि कारगिल युद्ध अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में ही जीता गया। कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेना का हौसला बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई स्वयं कश्मीर गए थे।

पाकिस्तान ने दिया था बड़ा धोखा

अटल बिहारी बाजपेई की प्रधानमंत्री बनते हैं। वह चाहते थे कि पाकिस्तान के साथ रिश्तो में सुधार हो। और इसके लिए वह भारत और पाकिस्तान के बीच बस सेवा की शुरुआत की थी। वह स्वयं बस में बैठकर पाकिस्तान भी गए थे। उस समय के रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से जितना हो सकता था भाईचारा बढ़ाने की कोशिश की।
हालांकि उसके कुछ महीनों बाद ही पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ करने की कोशिश की थी इस क्रम में हजारों पाकिस्तानी सेना तथा आतंकवादियों को लेकर के जम्मू कश्मीर के। कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर आकर के छुप गए थे।

उनका मकसद कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना था।

कारगिल युद्ध क्यों हुआ ?

3 मई 1999 को कश्मीर की कारगिल जिले की पहाड़ी क्षेत्रों में कई हथियारबंद पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादियों को देखने की सूचना मिली। यह सूचना वहां के स्थानीय चरवाहों के द्वारा सेना के आला अधिकारियों को दी गई थी। इसके बाद 5 मई 1999 को घुसपैठ की खबर मिलते ही भारतीय सेना की कुछ जवानों को वहां भेजा गया लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों के साथ कार्यवाही में भारत के 5 सैनिक शहीद हो गए। चुकी, पाकिस्तान कारगिल में ऊंची पहाड़ियों पर था इसीलिए पाकिस्तानी सैनिकों की स्थिति काफी मजबूत थी।

10 मई 1999 को भारतीय सेना ने कार्यवाही करते हुए “ऑपरेशन विजय” की शुरुआत की, तथा कश्मीर घाटी में घुसपैठ को रोकने के लिए अधिक संख्या में सैनिकों को भेजा गया | इसके बाद भारतीय वायुसेना ने 26 मई 1999 को हवाई हमला शुरू किया, तथा इस हमले में कई पाकिस्तानी घुसपैठियों को जान गंवानी पड़ी।

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इसके बाद 1 जून 1999 को पाकिस्तानी सेना ने नेशनल हाईवे 1 निशाना बनाकर उड़ा दिया।9 जून 1999 तक भारतीय सेना के जवानों ने अपनी बहादुरी का परचम लहराया तथा जम्मू-कश्मीर की बटालिक सेक्टर में दो प्रमुख पोजीशन पर अपना दोबारा कब्जा बना लिया। इसके अलावा भारत ने कई दस्तावेज जारी की जिससे पाकिस्तानी सेना के हमले में हाथ होने की बात सामने आ गई।

इसके बाद एक-एक कर की भारतीय सेना ने अपने सभी महत्वपूर्ण ठिकानों पर फिर से कब्जा कर लिया। 5 जुलाई 1999 तक पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते कारगिल से पाकिस्तानी सेना को वापस बुलाना पड़ा। यह दबाव अमेरिका और फ्रांस के द्वारा बनाया गया था।

12 जुलाई 1999 तक पाकिस्तानी सैनिक पीछे हट चुके थे तथा 14 जुलाई 1999 को भारतीय प्रधानमंत्री ने सेना के ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक पूरा होने का ऐलान कर दिया था। इस क्रम में मातृभूमि की रक्षा करते हुए भारत के 500 से अधिक सैनिकों ने अपना बलिदान दिया।

एक रिपोर्ट के मुताबिक कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के 3000 से अधिक सैनिक तथा आतंकवादियों को मार गिराया गया था।

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