नरेंद्र मोदी पिछले नौ साल से प्रधानमंत्री हैं. अपने अब तक के शासन के दौरान उन्होंने खाड़ी देशों से भारत के संबंधों को बढ़ाने पर खासा ध्यान दिया है.
शनिवार को यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ायद अल-नाह्यान से बातचीत के बाद उन्होंने भारतीय रुपये और यूएई के मुद्रा दिरहम में कारोबार का एलान किया .
दोनों देशों के बीच अपनी-अपनी मुद्रा में कारोबार का एलान भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंधों में नया मील का पत्थर माना जा रहा है.
पिछले साल जब मोदी यूएई पहुंचे थे तो राष्ट्रपति मोहम्मद बिन ज़ायद अल-नाह्यान प्रोटोकॉल तोड़ कर खुद अबू धाबी एयरपोर्ट पर मोदी के स्वागत में खड़े दिखे थे.
2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो 2002 के गुजरात दंगों को लेकर खाड़ी देशों में बनी उनकी छवि से लग रहा था कि इसका असर भारत के साथ उनके संबंधों पर पड़ सकता है
जहां तक यूएई का सवाल है तो मोदी ने यहां का पहला दौरा अगस्त 2015 में, दूसरा फ़रवरी 2018 में और तीसरा अगस्त 2019 में किया और चौथा दौरा जून 2022 में किया था.
भारत 2027 तक अपनी अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा कर 5 ट्रिलियन डॉलर करना चाहता है. इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए वो 2030 तक अपने निर्यात को बढ़ा कर एक ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना चाहता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मौजूदा यूएई यात्रा में वहां के राष्ट्रपति से एनर्जी, फूड सिक्योरिटी और रक्षा समेत कई मुददों पर चर्चा की.
यूएई के साथ भारत के कारोबारी रिश्ते जिस तेजी से बढ़ रहे हैं वो कई विश्लेषकों के लिए चौंकाने वाला है